Friday 31 July 2020

The world after corona virus - कोरोना महामारी के बाद की दुनिया कैसी होगी

कोरोना महामारी के बाद की दुनिया कैसी होगी

कोरोना महामारी के बाद की दुनिया कैसी होगी The world after corona virus
covid pandemic


वर्तमान में कोरोना महामारी ने पूरे विश्व को रोक सा दिया है, जिसमें लॉकडाउन की सहायता से वायरस की फेलने की गति को धीमा किया गया है। फिर भी, कोई विशिष्ट डेटा नहीं है कि कब स्थितियां स्थिर हो जाएंगी। यह निश्चित है कि लोग इस वैश्विक संकट के माध्यम से मूल्यवान सबक सीख रहे हैं, और COVID के बाद जीवन को बेहतर बनाने के लिए दुनिया के तोर-तरीके बदलना निश्चित है। प्रसिद्ध दार्शनिक, अरस्तू ने सिखाया, "हमें हमारे अंधेरे क्षणों के दौरान ही प्रकाश को देखने के लिए ध्यान केंद्रित करना चाहिए।" इस प्रकार, यह संभवत: दुनिया में अपेक्षित सुधारों को करने का सही समय है।
कोरोना महामारी के बाद की दुनिया कैसी होगी
covid pandemic

स्थायी जीवन शैली:- 


लोगों ने लॉकडाउन के दौरान अनिवार्य वस्तुओं के साथ रहना सीखा। जंक फूड की जगह स्वस्थ घर का बना भोजन। बंद शॉपिंग मॉल ने नासमझ उपभोक्तावाद की निरर्थकता को उजागर किया। जैसे-जैसे प्रदूषण का स्तर घटता गया और प्रकृति का विकास हुआलोगों को ग्रह के स्वास्थ्य के लिए एक स्थायी जीवन शैली की आवश्यकता का एहसास हुआ। भविष्य में, संचालित करने के लिए अधिक पर्यावरण-अनुकूल तरीके निस्संदेह उभरेंगे, जैसे कि ईंधन को बचाने के लिए घर से ही काम करना और ऑनलाइन पेपरलेस लेनदेन। लोगों को एक सरल जीवन शैली को प्राथमिकता देने की संभावना है, खपत को कम करना, भविष्य की आय अनिश्चितताओं के खिलाफ सावधानियों के रूप में बचत बढ़ाना।

परिवार केन्द्रित समाज:-

इस  कठिन समय के दौरान, सभी सदस्यों को नुकसान से बचाने के लिए परिवार मिलकर काम कर रहे हैं। हर सदस्य घर के कामों में मदद कर रहा है, बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल करने के साथ-साथ मजबूत बंधन विकसित हो रहा है। साथ ही पोस्ट-लॉकडाउन, वायरस को पूरी तरह से समाप्त होने में समय लगेगा, जिससे सामाजिक दूरी और अन्य उपाय दीर्घकालिक भविष्य का एक हिस्सा बन जाएंगे। आम मनोरंजन क्षेत्र जैसे कि मूवी हॉल, खेल स्टेडियम और ऐसे स्थानों में संक्रमण की आशंका को रोकने के लिए उपस्थिति को प्रतिबंधित किया गया है।

आधुनिक और व्यवस्थित हेल्थकेयर सिस्टम:-

महामारी ने रोगियों के संस्करणों में तेजी से वृद्धि से निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रणाली तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया। अस्पतालों में पर्याप्त क्षमता पैदा करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं ताकि आपात स्थिति से बेहतर तरीके से निपटा जा सके। डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों जैसे संपर्क रहित थर्मामीटर का उपयोग बढ़ रहा है, रोगी की देखभाल में सुधार कर रहा है। कोरोंना ने पर्याप्त स्वच्छता के बारे में जनता के बीच जागरूकता बढ़ाई है। लोग मास्क पहनने और बार-बार हाथ धोने की आदतें बना रहे हैं, जो कि संपूर्ण स्वच्छता विकसित करने के लिए निश्चित हैं। टेलीमेडिसिन के बढ़ते उपयोग से चिकित्सा सहायता सुलभ हो रही है। चूंकि उनके परिवार के स्वास्थ्य की सुरक्षा हर किसी की प्राथमिक चिंता बन गई है, स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवा में सुधार का चेहरा चिंताओं को दूर करेगा। 
कोरोना महामारी के बाद की दुनिया कैसी होगी
home schooling 

डिजिटली पुनर्गठित शिक्षा व्यवस्था:-

कोरोनावायरस के चक्र के फैलने के बाद भी, वायरस संभवतया मौजूद रहेगा। मास्क पहनना, हाथ-सैनिटाइज़र का उपयोग करना, और शारीरिक दूरी बनाए रखना नए सामान्य नियम होने जा रहे हैं। इस स्थिति में, संदूषण की संभावना को कम करने के लिए, शैक्षिक संस्थानों को स्मार्ट तकनीकों के साथ अपने शिक्षण तकनीकों को आधुनिक बनाने की आवश्यकता होगी। लॉकडाउन के दौरान, माता-पिता अपने बच्चों को कुशलतापूर्वक होमस्कूल कर रहे हैं, और स्कूल ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं। चूंकि माता-पिता छोटे बच्चों को जोखिम से बचाना पसंद करेंगे, जब तक कि कोरोनवायरस का खतरा नहीं होगा, पारंपरिक शिक्षण विधियों पर वर्चुअल क्लासरूम हावी हो सकते हैं
The world after corona virus
work from home

वर्क फ्रॉम होम कल्चर:-

कार्यस्थलों पर अत्यधिक काम का बोझ और लंबे समय तक काम करने का जो तरीका अभी तक प्रचलन में था और इस वजह से परिवारों में भी दूरियां आ रही थी  परिवार के हिस्से के समय को भी कार्यस्थलों ने लूट लिया। वर्क फ्रॉम होम से, वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठकें नई कार्य संस्कृति बन जाएंगी। लोग अपने परिवार के साथ अधिक समय बिताएंगे जब वे काम के दबाव से टूट जाएंगे, तो उनके करीबी परिवार-संबंधों का का सहारा हमेशा साथ होगा
वर्तमान परिदृश्य में, जब तक एक टीका आबादी के बहुमत में प्रतिरक्षा का निर्माण करने में मदद नहीं करता है तब तक सामाजिक गड़बड़ी को पूरी तरह से शांत नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार, कर्मचारियों का एक बड़ा हिस्सा जल्द ही कार्यालय में वापस नहीं आ सकता है।

निष्कर्ष:-

चूंकि लोग कोरोनोवायरस संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने में एक साथ मिल कर काम करते हैं, इसलिए एक बेहतर दुनिया बन रही है। कठिन समय बीतना निश्चित है, जीवन में करुणा का आभाव कम होगा और परिवार के सदस्यों के कल्याण जीवन में क्या मायने रखता हैं यह लोगों की समझ में आ जायेगा  लोगों ने सावधानियों की आवश्यकता का एहसास किया है और आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित रखने के लिए भविष्य की आकस्मिकताओं के खिलाफ कदम उठा रहे हैं

इस पोस्ट को पढ़ने के लिए  धन्यवाद मुझे इस पोस्ट के ऊपर आपके महत्वपूर्ण कमेंट्स का इंतजार रहेगा और अगर आपको पोस्ट अच्छी  लगे तो शेयर व् फॉलो जरुर करें  

Thursday 30 July 2020

coronavirus pandemic - कोरोना वायरस महामारी

     coronavirus pandemic 

कोरोना वायरस महामारी ने दुनिया को एक गंभीर स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है जहाँ सब कुछ ठहर सा गया है सब कुछ रूक सा गया है दुनिया के बड़े हिस्से को लॉकडाउन का सामना करना पड़ा हैं और COVID-19 का कारण बनने वाले SARS-CoV-2 वायरस को रोकने के प्रयास में आधी दुनिया आज भी घर पर ही है  यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य के ऊपर गहरा असर डाल रहा है और हमारे मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए ध्यान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है तनाव से निपटने में आपकी मदद करने के कई तरीके हैंचिंता महामारी से उत्पन्न होती है। ध्यान शांत करने का एक सरल और त्वरित तरीका है

यदि आपको COVID-19 महामारी ने तनावग्रस्त और चिंतित कर दिया है, तो ध्यान को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। माइंडफुलनेस मेडिटेशन, विशेष रूप से, चिंता, अवसाद और दर्द जैसे मनोवैज्ञानिक तनाव को कम करने के लिए दिखाया गया है। शोध यह भी बताते हैं कि मन को शांत करने वाला अभ्यास आपके शरीर को आराम देकर नींद को बेहतर बनाने में भी मदद कर सकता है। 

लेकिन और भी कई चीजें हैं जो आपको तनाव और चिंता से निपटने में मदद कर सकते हैं जेसे की परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिताना.

अपने को इनडोर स्पोर्ट्स आदि में व्यस्त रखना

ध्यान को दैनिक अभ्यास बनाना मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने का एक शानदार तरीका है

 दिन में केवल मिनट के साथ शुरू करें:

आप दिन में सिर्फ 2 मिनट के साथ शुरू कर सकते हैं - शायद, आपको अपने अभ्यास से चिपकना बहुत आसान लगेगा। यह लंबे समय तक चलने वाली आदत बनाने में विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है। यदि आप इसे करने में अच्छा महसूस करते हैं, तो आप अपना ध्यान समय धीरे-धीरे बढ़ा सकते हैं।


आराम से बैठें या लेटें:

बस फर्श पर एक तकिया पर बैठें, या एक कुर्सी या सोफे पर बैठें - यदि आप फर्श पर बैठने में सहज नहीं हैं।

अपनी आँखें बंद करें:

यदि आप लेटे हुए हैं तो कूलिंग आई मास्क या रिस्टोरेटिव आई पिलो का  उपयोग करने की सलाह दी जाती है।

 अपनी सांस पर ध्यान दें:

अपनी सांस पर ध्यान दें क्योंकि आप अपनी नाक से सांस छोड़ते हैं और साँस छोड़ते हैं। गहरी और धीरे-धीरे सांस लें। यदि आप अपने मन को भटकते हुए पाते हैं, तो धीरे-धीरे अपना ध्यान अपनी श्वास पर लौटाएं।

प्रार्थना में व्यस्त रहें: 

प्रार्थना सबसे अच्छा ज्ञात और सबसे व्यापक रूप से ध्यान का अभ्यास है। एक दैनिक ध्यान अभ्यास को स्थापित करना और बनाए रखना तनाव को कम करने और आपके संपूर्ण स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करने का एक शानदार तरीका है, भले ही यह दिन में कुछ मिनट ही क्यों न हो

 इन सब तरीको से आप निश्चित ही इस महामारी से लड़कर जीत हासिल कर लेंगे और अपने आस-पास भी सकारात्मक माहोल का सृजन कर पाएंगे 

इस सम्पूर्ण लेख को अंत तक पदने के आपका धन्यवाद आशा करता हु की यह लेख आपके जीवन में किसी न किसी प्रकार से अवश्य उपयोगी होगा आपके महत्वपूर्ण टिप्णियों (COMMENTS) की प्रतीक्षा में 


Meditation and Corona - ध्यान और कोरोना

There are some other cases also finding in India yoga & meditation helps to cure fast of corona patients.


 ध्यान और कोरोना 

The ''energy healing meditation technique'' was first taught by late Guru Ram Lal Siyag.

The first patient, M.M. Ali, who showed some positive results after using the technique, is from Jaipur. The second patient is M. Uttamchandani (61) from Jodhpur. He had tested 5 times positive before he tried this meditation technique seriously.

Uttamchandani had taken a trip abroad for a family function and upon his return, he tested positive for COVID-19.

There are some other cases also finding in India yoga & meditation helps to cure fast of corona patients.

Following a week-long regular meditation for 15 minutes in the morning and evening with the help of medicines provides by doctors and other precautions give better results to combat with corona  

Naman, who is an alumnus of the New York Film Academy, has made a 95-minute film on this meditation technique. The film features interviews with doctors and patients.

According to Naman, a patient''s immunity improves as one follows the meditation discipline.

"I am in preliminary talks with the health department of The USA to work out a small research on this meditation technique. While in India, the government through its science and technology department has put out an advertisement inviting research work on specific yoga and meditation techniques (under SATYAM) that can help with immunity and fight with COVID-19, I have submitted paperwork for that research and hope to get the research approved where a batch of 8-10 patients can try this meditation," says Naman.

The recovery time from Covid-19, the number of antibodies and healthy plasma levels in these patients could be monitored, which can give researchers some proof on this meditation technique''s effect on the human body, he says.

patient Experiences:-

 The patient Uttamchandani says, "I started meditation from April 15. However, it was not for half an hour. But after watching YouTube videos sent by Naman, I started following it thoroughly for half-an-hour in a day. I also tried home remedies and yoga besides practicing this meditation technique. However, in the last week of my hospital stay, when I tried meditation, I received positive results," he added.

Wednesday 29 July 2020

Tathagata buddha - तथागत बुद्ध

Tathagata buddha  - तथागत बुद्ध

    Tathagata buddha

तथागत बुद्ध के संबंध में कहा जाता है: वे ऐसे आते हैं जैसे हवा आए, वे ऐसे चले जाते हैं जैसे हवा चली जाए; न दिखाई पड़ता उनका आना, न दिखाई पड़ता उनका जाना। इसलिए बुद्ध का एक नाम है तथागत। जो आया और गया,लेकिन जिसके आने-जाने की कोई चोट नहीं पड़ती। तथागत का मतलब होता है: जो ऐसे आए कि पता भी न चले, जो ऐसे चला जाए कि पता भी न चले। बुद्ध के प्यारे से प्यारे नाम में तथागत है। हजारों नाम बुद्ध को दिए गए हैं, लेकिन तथागत की खूबी ही और है। आया, गया, और हमें पता भी न चले। 

जब कोई इतना एक हो जाता है प्रकृति के साथ कि जैसे प्रकृति ही उसमें उठती है और प्रकृति ही बैठती है और प्रकृति ही सोती है और प्रकृति ही चलती है, तब परम मुक्ति। इसलिए अहंकार का इतना विरोध है; क्योंकि अहंकार ही आपकी मुक्ति में बाधा है। जितना आपको लगता है मैं हूं, उतना ही आपका आनंद दूर है। और जितना आपको लगे मैं नहीं हूं, उतना ही आनंद निकट है। जिस दिन लगे मैं हूं ही नहीं...। 

इसलिए बुद्ध कहते हैं, जो बुझ जाता है, जैसे दीया बुझ जाए, ऐसा जिसका अहंकार बुझ जाता है, जो मिट जाता है, जैसे बूंद सागर में खो जाए, ऐसा जो खो जाता है, वही मुक्त है।

                                                                                                    ओशो - ताओ उपनिषद-61



Secret of Life


A man who has any kind of greed in his mind, it is not possible to have any relation with God, what the meaning of greed is, that what I am in should not be satiety, something else, whether it be wealth, fame or God himself. Be it, as long as there is any kind of greed in the mind, there will be tension inside the mind that will make you go away from the joy and not joy, then there is disturbance and where there is disturbance you cannot get to God because God is not far from you.

A restless mind can never attain God because when it is disturbed, it will start to move here and there, it will seek God outside, and if it is searching, it has to be broken for him who is away from you, if he is inside himself, and then he will fight for it. 
Secret of life

So there are some such things which have to be broken to get, like to get fame, if you want to achieve fame then you have to find solutions, even if you want to get wealth, you have to divide.

 But the divine is not far away, there is not even an inch of distance, he is hiding in a very deep rhythm in us where we are standing, we are the divine, we are the one who, if he seeks him out, he will get away and not be lost. If you search for it, more problems will arise.

We have all stood where we do not need to go anywhere but our mind understands the same language and that is the language of searching and whose mind is always searching and searching is called householder and householder Makes no sense

And he who gives up the language of winning, and says that all is found, all is found, he is satisfied in the true sense, he is a monk, otherwise, only the clothes have been changed. But the mind still has to find something, it is the householder who is in tune to find something

to get what we say to God or whatever, we must understand that they do not have to know to get it, understand this difference, it is impossible to get them because it is within us and we can only know within ourselves.

Thanks For Reading this article plz Like & Share
Anil Kr ( kuch pal aapke sath)
 

 

Tuesday 28 July 2020

Nostalgia Yoga - विषाद योग ( अर्जुन और श्री कृष्ण )

           

 अर्जुन विषाद योग 


         क्या विषाद भी योग हो सकता है हाँ विषाद योग हो सकता है क्यूंकि वह आनंद का ही प्रतिरूप है मतलब आनंद का विपरीत रूप विषाद तो जब आनंद योग हो सकता है तो विषाद भी योग ही है 
         जेसे अगर सोने में मिटटी मिल जाये तो उसे कहना तो अशुद्ध सोना ही पड़ेगा वह मिटटी तो नहीं हो जायेगा हाँ वह अशुद्ध है लेकिन उसमे शुद्धता को प्राप्त होने का भाव शेष है अशुद्धि को जलाकर अलग किया जा सकता है और और सोना वापस सोना हो सकता है 
         तो विषाद योग इसलिए है की विषाद जलाया जा सकता है उसे ज्ञान के प्रकाश से हटाया जा सकता है योग बच सकता है आनंद की यात्रा हो सकती है कोई भी इतने गहरे विषद को प्राप्त नहीं हो गया है की वापसी नहीं हो सकती है एक महीन सी पगडण्डी हमेशा वापसी के लिए बची रहती है उस पगडण्डी का स्मरण ही योग है 
तो विषाद क्यों हो रहा है विषाद इसलिए हो रहा है की हमे कही गहरे चेतन में आनंद का स्मरण है यह भी इस बात का स्मरण है की में जो हो सकता हूँ वह में नहीं हो पा रहा हूँ  जो में पा सकता हु वह में नहीं पा रहा हूँ  जो संभंव है वह संभव नहीं हो पा रहा है इसलिए विषाद हो रहा है                                                                     इसलिए जितना ही प्रतिभाशाली व्यक्ति होगा वह उतने ही गहरे विषाद में उतरेगा सिर्फ जड़ बुधि या बुद्ध व्यक्ति या कृष्ण जेसा व्यक्ति विषाद रहित हो सकता है क्यूंकि जड़ बुधि को तुलना का उपाय नहीं होता और बुद्ध या कृष्ण इनसे परे है जिसे यह ख्याल है की आनंद संभंव है उसका विषाद भी गहरा होगा जिसे सुबह का पता है उसे रात का अन्धकार भी गहरा  होगा और जिसे रात का पता नहीं उसके लिए रात भी सुबह हो सकती है और रात भी उसके लिए ठीक मालूम होगी 
            अर्जुन की इस विषाद की स्थिति को भी योग कहा जा सकता है क्यूंकि यह विषाद का बोध भी स्वरुप के विपरीत दिखाई पड़ता है और ऐसा विषाद योग उस युद्धस्थल और किसी को नहीं हो रहा था लेकिन अर्जुन बहुत ही भाग्यशाली था की उनके पास श्री कृष्ण जेसा मार्गदर्शक था जिनकी वजह से अर्जुन उन विषाद के क्षणों से बाहर आ पाया था और जगत को गीता जेसा मनोशास्त्र का ग्रन्थ मिला जो की सही मायनो में मनुष्य की मनोस्थिति का वर्णन और निदान करने की क्षमता रखता है 
            अगर आज के मायनो में देखा जाये तो इसका ताजा उदहारण सुशान्त सिंह के रूप में देखा जा सकता है जिसको यह ज्ञात था की वह क्या हो सकता है लेकिन वह उन उच्चाईयों को कुछ कतिपय कारणों से नहीं छु पाया लेकिन उसके जीवन में कोई श्री कृष्ण जेसा मार्गदर्शक नहीं था जो की उसे इस विषाद की परिस्थिति से बाहर निकल पाए और इस विषाद ने सुशान्त सिंह को निगल लिया 



Monday 27 July 2020

Desire of Unknown - अज्ञात की इच्छा

अज्ञात की इच्छा

                 व्यक्ति केसे जान पाए की अज्ञात की इच्छा क्या है यह कभी जाना नहीं जा सकता है हां यह
जरुर किया जा सकता है की हम अपने आप को अज्ञात के साथ एक कर दे  अपने को छोड़ दे मिटा दे तो हम जान सकते है तत्काल जान सकते है की अज्ञात की इच्छा क्या है अज्ञात के साथ एक हो जाता है मनुष्य 

                 बूंद नहीं जान सकती की सागर क्या है जब तक की वह अपने आप को सागर में खो न जाये व्यक्ति नहीं जान सकता की परमात्मा की इच्छा क्या है जब तक वह व्यक्ति अपने को व्यक्ति बनाये रखता है अपना अलग वजूद रखता है जब व्यक्ति अपने को खो दे परमात्मा में विलीन कर दे अपनी कोई इच्छा न रखे तो फिर केवल परमात्मा की इच्छा ही शेष रह जाती है  तब व्यक्ति वेसे ही जीता है जेसे अज्ञात उसे जिलाता है 

               जब तक व्यक्ति है तब तक अज्ञात क्या चाहता है नहीं जाना जा सकता और जब व्यक्ति नहीं है तब जानने की जरुरत नहीं है जो भी होता है अज्ञात ही करवाता है तब व्यक्ति केवल एक साधन मात्र रह जाता है कृष्ण पूरी गीता में अर्जुन को यही समझाते है की वह अपने को छोड़ दे खुद को अज्ञात को अज्ञात के हाथों में समर्पित कर दे क्यूंकि वह जिन्हें मरने के बारे में सोच कर भावविहल हो रहा है वो तो पहले ही अज्ञात के हाथों मरे जा चुके है 

              हाँ अगर वह अपने को बचाता है और इस कार्य से विमुख होता है तो अर्जुन जिम्मेदार होगा उस सब के लिए जो इसके पश्चात होगा अगर वह अपने को छोड़ कर केवल साधन के रूप में कार्य करता है तो उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी व्यक्ति अपने को खो दे अपने को समर्पित कर दे तो अज्ञात यानि परमात्मा की इच्छा ही फलित होगी 

             परमात्मा की इच्छा अभी भी फलित हो रही है  ऐसा नहीं है की हम उससे भिन्न फलित करा लेंगे लेकिन हम इसके लिए लड़ेंगे, टूटेंगे और नष्ट होंगे और अपयश को प्राप्त होंगे 

             व्यक्ति परमात्मा की इच्छा के बिना कुछ नहीं कर सकता लेकिन लड़ सकता है विरोध कर सकता इतनी स्वतंत्रता है मनुष्य को वह लड़कर अपने को चिंतित कर सकता है लेकिन मनुष्य अपनी स्वतंत्रता का दो तरह से उपयोग कर सकता है मनुष्य अपने जीवन को परमात्मा की इच्छा से संघर्षमय बना सकता है तब उसका जीवन दुःख, पीड़ा और संताप का जीवन होगा  और अंततः पराजय फलित होगी और जब व्यक्ति अपने जीवन की स्वतंत्रता को परमात्मा को समर्पित कर देता है तो उसका जीवन आनन्द का, नृत्य का, गीत का जीवन होगा 

           परमात्मा की इच्छा को जाना नहीं जा सकता लेकिन एक हुआ जा सकता है और तब अपनी इच्छा खो जाती है और केवल परमात्मा की इच्छा ही रह जाती है 

Sunday 26 July 2020

Secrets of Bhagwat Geeta - भगवत गीता के रहस्य

संजय 

संजय की शक्ति :-  संजय पर निरंतर संदेह जनमानस में दिखाई दिया है की क्या संजय को शक्ति मिली थी वह उनकी स्वयं की  शक्ति थी यह स्वाभाविक है क्यूंकि संजय कुरुक्षेत्र से इतनी दूर होकर भी  सब कुछ केसे देखकर वर्णन करते थे योग यह निरंतर मानता आया है मनुष्य के पास केवल वही दो आँखें नहीं है जो दिखाई देती है वरन इसके अलावा एक और आँख भी है जिसको हम अपने मन की द्रष्टि कहते है जो समय और क्षेत्र की सीमाओं को लांघकर देख सकती है 

क्या संजय सर्वज्ञ थे :-  नहीं संजय सर्वज्ञ नहीं थे क्यूंकि दूर-द्रष्टि लोई बहुत बड़ी शक्ति नहीं है सर्वज्ञता से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है और कोई भी चाहे तो थोड़े प्रयास से इसको विकसित कर सकता है और कभी -कभी प्रक्रति की भूल से भी किसी व्यक्ति को यह शक्तियां अनायास ही प्राप्त हो जाती है और इसके उदहारण भी आज की दुनिया में मौजुद है पहला व्यक्ति है एक अमेरिकन टेड सिरियो जो अपने से हजारों किलोमीटर दूर किसी भी जगह को देखकर उसका वर्णन कर सकता है और उसका हुबहू चित्र भी बना सकता है एक और घटना है इंग्लैंड की एक महिला की वह महिला चाट से गिर गई और उसके कारण उसके मस्तिषक को चोट आई और जब उसको होश आया तो उसको दिन में भी आकाश में तारे दिखाई पड़ने लगे उसकी आँखे सूर्य की रोशनी को भेद कर तारों को देखने लगी थी क्यूंकि तारें तो हमेशा आकाश में ही रहते है लेकिन हम अपनी सामान्य आँखों से सूर्य की रोशनी को भेदकर नहीं देख सकते 

न मालूम किस दुर्भाग्य के क्षण में हमने अपने समस्त पुराने ग्रंथो को कपोल-कल्पना समझना शुरू कर दिया है 

तो निष्कर्ष यह है की संजय कोई आधात्यामिक  व्यक्ति नहीं था लेकिन शायद इस शक्ति  के उपयोग के कारण वह युध की समाप्ति के पश्चात्  ज्यादा वक्त नहीं जिया होगा लेकिन संजय विशेष व्यक्ति जरुर था 

Saturday 25 July 2020

Secret of Life - जीवन का रहस्य

Secret of Life 

https://thoughtsofak.blogspot.com/2020/07/secret-of-life.html

Secret of Life


जिस मनुष्य के मन में किसी भी प्रकार का लोभ होगा उसका भगवान से कोई सम्बन्ध होना तो सम्भव नहीं है लोभ का अर्थ क्या है यही की जो में हु उसमे तृप्ति नहीं कुछ और होना चाहिए कुछ और वह चाहे धन हो, यश हो या भगवान् खुद हो क्यूंकि जब तक मन में किसी भी प्रकार का लोभ होगा मन के भीतर तनाव होगा जो की आपको आनद से दूर कर देगा और आनंद नहीं तो अशांति और जहाँ अशांति वहा आप भगवान् को प्राप्त नहीं कर सकते क्यूंकि भगवान आपसे दूर तो है ही नहीं 

             अशांत मन कभी भगवान् को प्राप्त नहीं कर सकता क्यूंकि जब अशांत होगा तो वह इधर उधर दोड़ने लगेगा वह भगवान् को बाहर खोजेगा और खोजना तो उसको पड़ता है दोड़ना उसके लिए पड़ता है जो आपसे दूर हो जो अपने अंदर ही मोजूद हो उसके लिए दोडेंगे तो चुक जायेंगे 
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              तो कुछ इस तरह की वस्तुए होती है जिनको पाने के दोड़ना ही होगा जेसे धन की प्राप्ति के लिए, यश की प्राप्ति के लिए अगर यश पाना है तो उपाय खोजने होंगे , धन पाना है तो भी दोड - भाग करनी पड़ेगी                                                                                                                                                                   लेकिन परमात्मा कहीं दूर नहीं है एक इंच का भी फासला नहीं है वह तो हमारे अंदर बहुत गहरे ताल में छुपकर रहता है जहाँ हम खड़े है वाही परमात्मा है हम वाही है जो वह अगर उसको बाहर खोजोगे तो और दूर हो जाओगे जिसे खोया ही न हो उसे खोजेंगे तो और दिक्कत पैदा हो जाएगी 

                हम सब वही खड़े हुए है जहाँ से हमे कहीं और जाने की जरुरत ही नहीं है लेकिन हमारा मन एक ही भाषा समझता है और वह है खोजने की दोड़ने की भाषा और जिसका चित हमेशा दोड़ने और खोजने में लगा रहता है वह गृहस्थ कहलाता है और गृहस्थ का कोई मतलब नहीं होता 

            और जो पाने की दोड़ने की भाषा छोड़ देता है और यह कहता है की सब प् लिया , सब पाया हुआ है वह सही मायनो में सन्यस्त है वाही सन्यासी है वर्ना तो केवल कपडे बदले गए है 

लेकिन मन अभी भी कुछ पाना है कुछ खोजना है की धुन में लगा हुआ गृहस्त ही है 

            जिसे हम भगवान या जो कुछ भी कहते है उसको पाने के लिए यह समझ लेना चाहिए की उन्हें पाना नहीं जानना है यह फर्क समझ लीजिये उन्हें पाना तो असम्भव है क्यूंकि वह तो हमारे भीतर ही है और हम अपने भीतर तो केवल जान ही सकते है 

            यही सत्य है यही प्रभु है यही आनंद है बाकि सारी खोज व्यर्थ है अगर सारा लोभ सारी  खोज रुक जाये तो चित का आवागमन रुक जायेगा और यही परम आनंद और सत्य है यही जीवन का रहस्य है 






 

Friday 24 July 2020

Right Way of Education - राईट वे ऑफ़ एजुकेशन

शिक्षा - Education 

Education

आज के युग में शिक्षा का महत्व बहुत ज्यादा हो गया है और छोटे परिवारों के कारण आजकल बच्चों की घरेलु शिक्षा प्रभावी और प्रायोगिक रूप से नहीं हो पाती है बच्चों को व्यावहारिक व सामाजिक समझ या तो बहुत देर से पैदा होती है या वक्त से पहले से आ जाती है दोनों ही स्थितियाँ  उचित नहीं होती है फिर बच्चे गलत तरीको और रास्तों से जानकारियां प्राप्त करते है जो की कई बार उनके जीवन के लिए उचित नहीं होती खास कर एडल्ट एजुकेशन जो की बच्चों को गलत राह  पर ले जाती है माता-पिता और बच्चों के बिच में इस शिक्षा कोप लेकर एक मौन की दिवार खड़ी रहती है जो की कई बार जीवन भर की पीड़ा का कारण बनती है 
            बच्चों को एडल्ट एजुकेशन की सही शिक्षा और ध्यान की दीक्षा दोनों ही घर पर मिलनी चाहिए ताकि बच्चों का सम्पूर्ण विकास हो सके और अपने जीवन को सफ़ल बना सके बच्चों  को सबसे पहले मौन होना सिखाना कहिये 24 घंटे में से 30 मिनिट फिर 1 घंटा अगर बच्चे मौन होना सीख  जायेंगे तो वे निर्विचार और शांत होना सीख जायेंगे इसलिए हर गहर में कम से कम एक घंटा एसा होना चाहिए जब सम्पूर्ण परिवार मौन हो एक साथ मौन हो तभी मौन में जाया जा सकेगा यह एक घंटे का मौन १४ वर्षों में उस दरवाजे को तोड़ देगा जिसका नाम ध्यान है जिस ध्यान से मनुष्य को समयहीन और अहंकार शुन्यता का बोध होता जाता है जहाँ से आत्मा की झलक मिलती है  

इस प्रकार की शिक्षा से हम अपने बच्चों को उन्नत जीवन की और अग्रसर कर सकते है 

दोस्तों यह मेरा प्रयास है की जो कुछ में प्राप्त कर रहा हूँ वो अपने तक सीमित  न रख कर और आगे प्रसारित करू और आशा करता हूँ की आप अपने बहुमूल्य विचारों से मेरा मार्गदर्शन अवश्य करेंगे 
आपके कमेंट्स और विचारों की प्रतीक्षा में 

Thursday 23 July 2020

Meditation And Anger - ध्यान और क्रोध

-:ध्यान और क्रोध :-



किसने कहा कि ध्यानी को गुस्सा नहीं करना चाहिये
भगवान् राम भी समुद्र की हरकत पर गुस्से में आकर धनुष बाण उठा लेते हैं और हमेशा मुस्कराते रहने वाले भगवान् कृष्ण भी महाभारत के युद्ध में रथ का पहिया लेकर दौड़ पड़ते हैं |
    ध्यानी का गुस्सा अलग ही किस्म का होता है, वो किसी को हानि पहुँचाने के लिये, किसी को चोट करने या अपमान करने के लिये नहीं होता
    ध्यानी एक बहुत जीवंत व्यक्ति है तो उसका गुस्सा भी जीवंत होता है ध्यानी व्यक्ति कोई घोंघा नहीं होता जो बिना आवाज के रेंगता रहे और जो चाहे उसे कुचल कर चला जाये
    ध्यानी व्यक्ति सिंह की तरह होता है। अकेला, अपने में मगन, दूसरों से बेपरवाह, लेकिन जरूरत हो तो वो दहाड़ता भी है और प्रतिक्रिया भी करता है । 
    वो किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता, किसी को परेशान नहीं करता, लेकिन यदि कोई उसकी निजता पर आक्रमण करे तो ध्यानी सिंह की तरह व्यवहार कर सकता है | - ओशो

Wednesday 22 July 2020

Social Media Or Hum सोशल मीडिया और हम

-:जीवन और सोशल मीडिया:- 

जीवन बहुत छोटा है वह बनने के लिए जो की हम नहीं है आसान लगता है न सुनने में इस दुनिया में आज आप की हर क्रिया और प्रतिक्रिया को सोशल मीडिया नियंत्रित करता है प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 
        जाने अनजाने हम सभी इस दोड का हिस्सा बनते जा रहे है हम आभासी दुनिया में अपने को उस रूप में प्रस्तुत करते है जो हम नहीं है और हम यह सब इसलिए करते है यही आज का ट्रेंड / चलन है और हम न चाहते भी उसी को फॉलो करते है 
        जीवन का कुछ भी हो लेकिन यह नहीं होना चाहिए की आप जो नहीं हो सकते वह बनने की कोशिश में अपना सम्पूर्ण जीवन ही व्यर्थ कर दे 
           दुसरे रूप में यह सोचिये की , " अंत: में लोग आपको आपके नहीं अपने नजरिये से जज करेंगे इसलिए अपना जीवन दुसरो को प्रभावित करने के बजाय अपना जीवन खुद को प्रभावित करने के लिए जिए " यह वास्तव में बहुत गहरा सच है विशेष रूप से हमारी हाइपर कनेक्टेड आभासी दुनिया में जहाँ शाब्दिक रूप से आप जो कुछ भी करते है उसे पूरी दुनिया अपने नजरिये से देखती है और उस पर बहुत कठोरता से अपने निर्णय भी देतीहै 
        कुछ बिन्दुओ पर आप सोचने लगते हो वास्तव में आपके साथ कुछ गलत हो रहा है कुछ एसा है जिसे बदलने की आवश्यकता है मेरा मतलब है की आपके सुपर क्यूट ऑउटफिट को इन्स्टाग्राम पर कोई लाईक क्यों नहीं मिला या आपके किसी ट्विट को रीट्विट नहीं किया गया तो आप यह सोचने लगेंगे की शायद मेरे क्रिएशन  में कुछ कमी है लेकिन सच यह होता है की आपका क्रिएशन इतना चालाक नहीं था की वह दुसरे लोगो के दिमाग को भ्रमित कर पाता क्या एसा हो सकता है की आपके द्वारा किये पोस्ट की क्रिएटिविटी से ज्यादा उसमे प्रयाग किये गए फिल्टर्स और स्पेशल इफेक्ट्स लोगों को प्रभावित करते है जी हा आज की आभासी दुनिया में हर कोई यही कर रहा है और वह देखना भी यही चाहता है और इसी दोड़ में मनुष्य खुद से दूर होता जा रहा है 

तो कृपया आप सोशल मीडिया में रहते हुए भी यह याद् रखने की कोशिश करे की आप कौन है और क्या बनना चाहते है अपने लिए न की सोशल मीडिया के लिए 


Tuesday 21 July 2020

What is Life - 5 जीवन क्या है - 5

-:भाव शुन्यता:-


मनोवैज्ञानिक  कहते है की जो लोग व्यस्त रहते है वे कम पागल होते है कम बीमार पड़ते है क्यूंकि उनके मस्तिषक को इन सब के बारे में सोचने का समय ही नहीं मिलता उन्हें यह याद ही नहीं रहता की वह खुद भी कुछ महत्व रखते हैउनका सारा जीवन जीवन व्यर्थ के कार्यों में ही लगा रहता है 
            इसलिए कभी कभी थोड़े समय के लिए चुप होकर बेठ जाना शुभ है वहा तुम्हे पता चलेगा की खली होने से तुम कितने बेचैन होने लगते हो ! खालीपन केसे कटता है 
            लोग दुःख को क्यों पसंद करते है क्यों चुनते है क्यूंकि लोगों को खालीपन से दुःख बेहतर लगता है कुछ उलझाने है तो कुछ उपाय है कुछ करने की सुविधा है =
            और जो आदमी खाली को राजी नहीं जो व्यक्ति शुन्यता को प्राप्त नहीं करना चाहता है वह कभी 
खुद तक नहीं पहुच पाता है क्योंकि  शुन्यता ही ध्यान है  या कोई नाम दो तो वाही समाधी है हमे संसार से थोडा दूर होना पड़ेगा क्यूंकि हम इन सब में इतना ज्यादा मिले हुए है की हमें दिखाई ही नहीं पड़ता की हम बाकि सब से अलग है थोडा सा फासला थोडा सा स्थान थोडा अवकाश की हम देख सके की हम कोन है ?
            जगत क्या है क्या हो रहा है हमारे जीवन का थोड़े थोड़े खली अन्तराल तुम्हारे आत्मबोधके लिए जरुरी है इन्ही में तुम्हे तुम्हारी झलक मिलेगी " अहो में चैतन्य - मात्र हूँ 
अहो, में चैतन्य -मात्र और संसार इंद्रजाल की भांति है 
            तो इसलिए इस जीवन में खली क्षण खोजते रहो कभी कभी थोडा समय अपने लिए निकल लेना चाहिए अपने अंदर झाँकने के लिए थोड़े गहरे में अपनी प्रशांति में, अपनी गहराई में थोड़ी डुबकी लगा लेना 
चाहिए 
            तो तुम्हें भी समझ आएगा तभी समझ आएगा किस बात को जनक कहते है :इति ज्ञान यही ज्ञान है 
            अब मुझे न तो कुछ हेय है और न कुछ उपादेय है  न तो कुछ हानि है न कुछ लाभ और न कुछ डर  की कुछ छुट जायेगा में तो सिर्फ चैतन्य मात्र हूँ 
            यही तो मुक्ति है 


Monday 20 July 2020

What is Life - 4 जीवन क्या है - 4

-: समय शुन्यता की झलक :-

एक बहुत  पुरानी  कहानी  है एक देश में एक बहुत बड़ा चित्रकार था उसने एक बार यह सोचा की में एक ऐसा चित्र बनाऊ जिसमे भगवान का आनंद झलकता हो वह अपने देश के हर कोने में घुमा हर शहर हर गाँव हर जंगल में गया एक ऐसे व्यक्ति की खोज में जिसकी आँखों में परम आनंद की अनुभूति हो जिसकी आँखों में भगवन की अनुभूति हो जो जीवन के पर की अनुभूति देता हो आखिर में उसने एक पहाड़ पर गाय चराने वाले चरवाहे के रूप में उसे खोज लिया उसकी आँखों में एक झलक थी उसे देखकर ही लगता था की मनुष्य के भीतर परमात्मा भी है चित्रकार ने उसका चित्र बनाया उस चित्र को जो भी देखता वो उसकी ही तरफ देखता रहता हर कोई उसे अपने घर में रखना चाहता था 
                                                    फिर २० साल बाद उस चित्रकार को एक ख्याल आया जीवन भर के अनुभव से यह विचार मन में प्रकट हुआ मनुष्य में भगवान के साथ शैतान भी निवास करता है उसने सोचा की में और छवि (चित्र ) बनता हु जिसमे शैतान की छवि हो तब मेरे दोनों चित्र मानुष का सही ढंग से चित्रित कर सकेंगे 
        चित्रकार फिर घुमने लगा इस बार जुआघर, शराबखानो में आदी स्थानों पर वह शैतान को खोजने लगा उस व्यक्ति को जिसमे मनुष्य की जगह शैतान के दर्शन हो बहुत खोजने के बाद उसे एक काराग्रह में एक बंदी के रूप में एक व्यक्ति मिला जो की अपने मृत्यु की प्रतीक्षा  कर रहा था उस पर 7 लोगो के खून का आरोप था और वह दोषी भी था उस मनुष्य की आँखों में नरक के दर्शन होते थे घृणा जेसे साक्षात् थी 
             उसने उस मनुष्य का चित्र बनाया जिस दिन उसका चित्र पूरा हुआ उस दिन वह अपना पहला चित्र भी लेकर आया था और दोनों चित्रों को पास में रखकर देखने लगा की कोनसा चित्र श्रेष्ट है चित्रकार खुद भी मुग्ध हो गया था दोनों को देखकर वह यह निश्चय ही नहीं कर प् रहा था की दोनों में से कोनसा श्रेष्ट चित्र है तभी उसको किसी के रोने की आवाज सुने पड़ी लोट कर देखा तो पाया की वह केदी रो रहा था चित्रकार हैरान हुआ उसने पुचा की दोस्त इन चित्रों को देखकर तुम्हे क्या तकलीफ हुई जो तुम रो रहे हो ?
            उस व्यक्ति ने कहा की इतने दिनों से में छुपाने की कोशिश कर रहा हु लेकिन आज में हार गया  तुम्हे शायद पता नहीं की तुमने जो पहली तस्वीर बनायीं थी वह भी में ही हूँ और अब यह सोच रहा हूँ की मेने 20 सालो में कोनसी यात्रा कर ली जो में ग से नरक की और आ गया परमात्मा से पाप की और आ गया 
        पता नहीं यह कहानी कहा तक सच है  लेकिन हर आदमी में एक शैतान है तो एक परमात्मा भी होता है बस सवाल उसे खोजने का है आदमी इन दो छोर के बिच घूमता रहता है अधिकतर मनुष्य नरक की वाले छोर को पते है और कुछ सोभाग्यशाली व्यक्ति परमात्मा को प्राप्त करते है  

Sunday 19 July 2020

What is Life -3 जीवन क्या है - 3

जीवन क्या है - ३ 

-:जीवन और परमात्मा :- 

https://thoughtsofak.blogspot.com/2020/07/what-is-life-3-3.html


सच तो यह है की जीवन के अतिरिक्त कहीं परमात्मा नहीं है जो व्यक्ति जीवन को साध लेता है वह ही परमात्मा को साध सकता है क्युकी जो जीवन को ही चुक जाता है वो जो अपने को ही नहीं जन पता है वो परमात्मा को केसे जानेगा इसका तो कोई उपाय ही नहीं है 
        जीवन को साध लेना ही धर्मं की साधना है जीवन में ही परम सत्य को अनुभव कर लेना मोक्ष को अनुभव कर लेना ही मोक्ष को उपलब्ध कर लेने की पहली सीडी है लेकिन अब तक का रुख उल्टा रहा है वह रुख कहता है जीवन को त्यागो लेकिन जीवन को त्यागने के बाद आप अपना सुधार केसे करोगे जीवन को नई उचाईयों पर पहुचाने के लिए जो साधन चाहिए वह हमारा जीवन ही है 
           लेकिन हम अपने जीवन का आदर ही नहीं करते क्यूंकि हमे यह सिखाया जाता है की यह जीवन तो नाशवान है इसलिए इसके बारे में नहीं सोचना सोचना है तो जीवन के बाद मोक्ष , स्वर्ग सही है सोचना चाहिए मोक्ष के बारे में लेकिन इसके लिए अगर हम इस  जीवन का उपयोग ही नहीं करेंगे तो फिर मोक्ष प्राप्ति तो असम्भव है इसलिए जीवन को सार्थक बनाना ही उदेश्य होना चाहिए जीवन को आनंदमय बनाना ही जीवन का लक्ष्य होना चाहिए इसलिए जीवन को जीने की कला सीखो 
                सही मायनो में धर्मं जीवन जीने की कला है  "आर्ट ऑफ़ लिविंग" 
धर्म जीवन का त्याग नहीं असल में जीवन की अनंत गहराइयों में उतरने की कला है साधना है 
धर्मं है जीवन का सम्पूर्ण साक्षात्कार  


Saturday 18 July 2020

What Is Life -2 जीवन क्या है - 2

                    जीवन क्या है - 2 


हम जो करते है उसी से हम निर्मित होते है हमारा कृत्य हमे बनाता है हम जो करते है वाही हमारी आत्मा हमारे अन्तकरण को प्रतिबिंबित करता है जियन के साथ हम क्या कर रहे है इस पर निर्भर करेगा की हम केसे निर्मित हो रहे है जीवन के साथ हमारा व्यवहार हमे निर्मित करता है यह अगर हमे स्मरण  रहे तो शायद हम जीवन की व्यर्थ मानना छोड़ देंगे तो शायद हमे जीवन विरोधी रुख अधार्मिक लगे 
            लेकिन हमे अब तक धर्म के नाम पर जीवन का विरोध ही सिखाया गया है जबकि हमे अपने वर्तमान को सुधरने की आवश्यकता है न की भविष्य अगर वर्तमान को आप सफलता पूर्वक जीना सिख जाये वर्तमान का आनंद आपको महसूस होने लग जाये तो आपकाजीवन सार्थक है लेकिन आज का मनुष्य अपने वर्तमान से ज्यादा अपने भविष्य के बारे में सोचता है 
            अगर हम यह जानने का थोडा भी परिश्रम करे की अगर हम वर्तमान ही नहीं सुधर पाएंगे तो भविष्य केसे सुधारेंगे जब हमारी नीवं ही मजबूत नहीं तो महल केसे खड़ा होगा फिर उस पर एक कच्चा झोपड़ा ही खड़ा होगा जो की वक्त के थपेड़ो को सहन करने के लिए उपयुक्त नहीं होता तो सारी गलत धारणाएं अपने आप ही साफ हो जाएगी 
            अब यह हमे निश्चय करना है की हम अपने जीवन को किस राह पर ले कर जाना है  

    क्रमशः