Tuesday 21 July 2020

What is Life - 5 जीवन क्या है - 5

-:भाव शुन्यता:-


मनोवैज्ञानिक  कहते है की जो लोग व्यस्त रहते है वे कम पागल होते है कम बीमार पड़ते है क्यूंकि उनके मस्तिषक को इन सब के बारे में सोचने का समय ही नहीं मिलता उन्हें यह याद ही नहीं रहता की वह खुद भी कुछ महत्व रखते हैउनका सारा जीवन जीवन व्यर्थ के कार्यों में ही लगा रहता है 
            इसलिए कभी कभी थोड़े समय के लिए चुप होकर बेठ जाना शुभ है वहा तुम्हे पता चलेगा की खली होने से तुम कितने बेचैन होने लगते हो ! खालीपन केसे कटता है 
            लोग दुःख को क्यों पसंद करते है क्यों चुनते है क्यूंकि लोगों को खालीपन से दुःख बेहतर लगता है कुछ उलझाने है तो कुछ उपाय है कुछ करने की सुविधा है =
            और जो आदमी खाली को राजी नहीं जो व्यक्ति शुन्यता को प्राप्त नहीं करना चाहता है वह कभी 
खुद तक नहीं पहुच पाता है क्योंकि  शुन्यता ही ध्यान है  या कोई नाम दो तो वाही समाधी है हमे संसार से थोडा दूर होना पड़ेगा क्यूंकि हम इन सब में इतना ज्यादा मिले हुए है की हमें दिखाई ही नहीं पड़ता की हम बाकि सब से अलग है थोडा सा फासला थोडा सा स्थान थोडा अवकाश की हम देख सके की हम कोन है ?
            जगत क्या है क्या हो रहा है हमारे जीवन का थोड़े थोड़े खली अन्तराल तुम्हारे आत्मबोधके लिए जरुरी है इन्ही में तुम्हे तुम्हारी झलक मिलेगी " अहो में चैतन्य - मात्र हूँ 
अहो, में चैतन्य -मात्र और संसार इंद्रजाल की भांति है 
            तो इसलिए इस जीवन में खली क्षण खोजते रहो कभी कभी थोडा समय अपने लिए निकल लेना चाहिए अपने अंदर झाँकने के लिए थोड़े गहरे में अपनी प्रशांति में, अपनी गहराई में थोड़ी डुबकी लगा लेना 
चाहिए 
            तो तुम्हें भी समझ आएगा तभी समझ आएगा किस बात को जनक कहते है :इति ज्ञान यही ज्ञान है 
            अब मुझे न तो कुछ हेय है और न कुछ उपादेय है  न तो कुछ हानि है न कुछ लाभ और न कुछ डर  की कुछ छुट जायेगा में तो सिर्फ चैतन्य मात्र हूँ 
            यही तो मुक्ति है 


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