Sunday 26 July 2020

Secrets of Bhagwat Geeta - भगवत गीता के रहस्य

संजय 

संजय की शक्ति :-  संजय पर निरंतर संदेह जनमानस में दिखाई दिया है की क्या संजय को शक्ति मिली थी वह उनकी स्वयं की  शक्ति थी यह स्वाभाविक है क्यूंकि संजय कुरुक्षेत्र से इतनी दूर होकर भी  सब कुछ केसे देखकर वर्णन करते थे योग यह निरंतर मानता आया है मनुष्य के पास केवल वही दो आँखें नहीं है जो दिखाई देती है वरन इसके अलावा एक और आँख भी है जिसको हम अपने मन की द्रष्टि कहते है जो समय और क्षेत्र की सीमाओं को लांघकर देख सकती है 

क्या संजय सर्वज्ञ थे :-  नहीं संजय सर्वज्ञ नहीं थे क्यूंकि दूर-द्रष्टि लोई बहुत बड़ी शक्ति नहीं है सर्वज्ञता से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है और कोई भी चाहे तो थोड़े प्रयास से इसको विकसित कर सकता है और कभी -कभी प्रक्रति की भूल से भी किसी व्यक्ति को यह शक्तियां अनायास ही प्राप्त हो जाती है और इसके उदहारण भी आज की दुनिया में मौजुद है पहला व्यक्ति है एक अमेरिकन टेड सिरियो जो अपने से हजारों किलोमीटर दूर किसी भी जगह को देखकर उसका वर्णन कर सकता है और उसका हुबहू चित्र भी बना सकता है एक और घटना है इंग्लैंड की एक महिला की वह महिला चाट से गिर गई और उसके कारण उसके मस्तिषक को चोट आई और जब उसको होश आया तो उसको दिन में भी आकाश में तारे दिखाई पड़ने लगे उसकी आँखे सूर्य की रोशनी को भेद कर तारों को देखने लगी थी क्यूंकि तारें तो हमेशा आकाश में ही रहते है लेकिन हम अपनी सामान्य आँखों से सूर्य की रोशनी को भेदकर नहीं देख सकते 

न मालूम किस दुर्भाग्य के क्षण में हमने अपने समस्त पुराने ग्रंथो को कपोल-कल्पना समझना शुरू कर दिया है 

तो निष्कर्ष यह है की संजय कोई आधात्यामिक  व्यक्ति नहीं था लेकिन शायद इस शक्ति  के उपयोग के कारण वह युध की समाप्ति के पश्चात्  ज्यादा वक्त नहीं जिया होगा लेकिन संजय विशेष व्यक्ति जरुर था 

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