Monday 20 July 2020

What is Life - 4 जीवन क्या है - 4

-: समय शुन्यता की झलक :-

एक बहुत  पुरानी  कहानी  है एक देश में एक बहुत बड़ा चित्रकार था उसने एक बार यह सोचा की में एक ऐसा चित्र बनाऊ जिसमे भगवान का आनंद झलकता हो वह अपने देश के हर कोने में घुमा हर शहर हर गाँव हर जंगल में गया एक ऐसे व्यक्ति की खोज में जिसकी आँखों में परम आनंद की अनुभूति हो जिसकी आँखों में भगवन की अनुभूति हो जो जीवन के पर की अनुभूति देता हो आखिर में उसने एक पहाड़ पर गाय चराने वाले चरवाहे के रूप में उसे खोज लिया उसकी आँखों में एक झलक थी उसे देखकर ही लगता था की मनुष्य के भीतर परमात्मा भी है चित्रकार ने उसका चित्र बनाया उस चित्र को जो भी देखता वो उसकी ही तरफ देखता रहता हर कोई उसे अपने घर में रखना चाहता था 
                                                    फिर २० साल बाद उस चित्रकार को एक ख्याल आया जीवन भर के अनुभव से यह विचार मन में प्रकट हुआ मनुष्य में भगवान के साथ शैतान भी निवास करता है उसने सोचा की में और छवि (चित्र ) बनता हु जिसमे शैतान की छवि हो तब मेरे दोनों चित्र मानुष का सही ढंग से चित्रित कर सकेंगे 
        चित्रकार फिर घुमने लगा इस बार जुआघर, शराबखानो में आदी स्थानों पर वह शैतान को खोजने लगा उस व्यक्ति को जिसमे मनुष्य की जगह शैतान के दर्शन हो बहुत खोजने के बाद उसे एक काराग्रह में एक बंदी के रूप में एक व्यक्ति मिला जो की अपने मृत्यु की प्रतीक्षा  कर रहा था उस पर 7 लोगो के खून का आरोप था और वह दोषी भी था उस मनुष्य की आँखों में नरक के दर्शन होते थे घृणा जेसे साक्षात् थी 
             उसने उस मनुष्य का चित्र बनाया जिस दिन उसका चित्र पूरा हुआ उस दिन वह अपना पहला चित्र भी लेकर आया था और दोनों चित्रों को पास में रखकर देखने लगा की कोनसा चित्र श्रेष्ट है चित्रकार खुद भी मुग्ध हो गया था दोनों को देखकर वह यह निश्चय ही नहीं कर प् रहा था की दोनों में से कोनसा श्रेष्ट चित्र है तभी उसको किसी के रोने की आवाज सुने पड़ी लोट कर देखा तो पाया की वह केदी रो रहा था चित्रकार हैरान हुआ उसने पुचा की दोस्त इन चित्रों को देखकर तुम्हे क्या तकलीफ हुई जो तुम रो रहे हो ?
            उस व्यक्ति ने कहा की इतने दिनों से में छुपाने की कोशिश कर रहा हु लेकिन आज में हार गया  तुम्हे शायद पता नहीं की तुमने जो पहली तस्वीर बनायीं थी वह भी में ही हूँ और अब यह सोच रहा हूँ की मेने 20 सालो में कोनसी यात्रा कर ली जो में ग से नरक की और आ गया परमात्मा से पाप की और आ गया 
        पता नहीं यह कहानी कहा तक सच है  लेकिन हर आदमी में एक शैतान है तो एक परमात्मा भी होता है बस सवाल उसे खोजने का है आदमी इन दो छोर के बिच घूमता रहता है अधिकतर मनुष्य नरक की वाले छोर को पते है और कुछ सोभाग्यशाली व्यक्ति परमात्मा को प्राप्त करते है  

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