Students Back to SCHOOLS in the Many States After 6 Months
यह मार्च के अंत का समय था जब पहला लॉकडाउन लगाया गया था और किसी ने भी कोविड-१९ के इतने भयावह और लम्बे समय के प्रभाव के बारे में नहीं सोचा था और इन्ही प्रभावों को देखते हुए सभी प्रकार के संस्थानों में जहाँ की व्यक्तियों को एक साथ सम्मिलित होना जरुरी होता था सभी संस्थाओं को बंद करने का निर्णय लिया गया लेकिन इस प्रक्रिया में सबसे ज्यादा नुकसान छात्रों को हुआ है क्योंकि सभी प्रकार के शेक्षणिक संसथान लम्बे समय के लिए बंद करने पड़े लगभग छ: माह से भी ज्यादा समय हो गया है
"इनका प्रभाव छात्रों के अध्यन पर भी पड़ा है लेकिन कई निजी स्कूलों में जो की एकल व्यक्ति द्वारा संचालित हो रही थी उन स्कूलों के अध्यापकों के सामने अपने जीवन यापन का प्रशन भी खड़ा हो गया था"
लेकिन अब सोमवार से, कुछ राज्यों ने स्कूलों को फिर से खोलने की अनुमति दी है। सभी 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल सात ने वर्तमान में 21 सितंबर से कक्षा 9 व उससे ऊपर के छात्रों के लिए और सेंटर्स अनलॉक 4 दिशानिर्देशों के अनुसार स्कूल को फिर से खोलने की अनुमति दी है।
कोरोनावायरस के खिलाफ लोगों की चिंता के कारण, फिर से खोलने के पहले दिन उपस्थिति बहुत कम दर्ज की गई थी। अन्य राज्य अभी भी स्कूलों को फिर से खोलने के निर्णय पर विचार कर रहे हैं क्योंकि इससे होने वाले प्रतिकूल प्रभाव के बारे में चिंतित है। राजस्थान (जोधपुर) के एक स्कूल के प्रधानाचार्य ने कहा कि नौवीं से लेकर कक्षा बारहवीं तक के छात्र जिन्होंने स्कूल को वापस ज्वाइन किया है,उनकी संख्यां 10% से भी कम हैं।
"कई अभिभावक पहले दिन स्कूल में दर्ज की गई प्रतिक्रिया को देख रहे हैं और उसके अनुरूप ही आगे के लिए कोई निर्णय लेंगे”
राजस्थान में जोधपुर शहर के गर्वमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल के बारहवीं कक्षा के एक छात्र राकेश सिंह के अनुसार, “ऑनलाइन क्लासेस चल रही हैं इसलिए मौका क्यों लेना हैं”। यही मेघालय, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा सहित उन राज्यों की कहानी थी, जहां स्कूल फिर से खुल गए हैं।
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अनिल भारद्वाज (कुछ पल आपके साथ)
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